परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। उनका जन्म ऋषि जमदग्नि और रेणुका के यहाँ हुआ था, जो एक ब्राह्मण ऋषि थे. उनका एक प्रसिद्ध किस्सा है जब उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए अपनी माता का वध कर दिया था, लेकिन फिर अपने पिता से वरदान प्राप्त कर उन्हें जीवित कर दिया. परशुराम का स्वभाव अत्यंत क्रोधी था और उन्होंने पृथ्वी से क्षत्रियों के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था.

माता पिता भक्त परशुराम
श्रीमद्भागवत में दृष्टान्त है कि भगवान परशुराम माता-पिता के परम भक्त थे। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, उन्होंने अपने पिता ऋषि जमदग्नि की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता रेणुका का सिर काट दिया था.
विस्तार में:
- परशुराम, ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे.
- एक बार रेणुका ने गंधर्वराज चित्ररथ को अप्सराओं के साथ देखा और देर तक वहीं रुक गई.
- जमदग्नि ने पत्नी की इस हरकत को मानसिक व्यभिचार माना और क्रोधित होकर अपनी पत्नी का वध करने का आदेश दिया.
- परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता का सिर काट दिया.
- जमदग्नि ऋषि ने परशुराम की पितृभक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने को कहा.
- परशुराम ने अपनी माता को पुनः जीवित करने और भाइयों को क्षमा करने का वरदान मांगा.
यह कथा परशुराम के माता-पिता के प्रति समर्पण और आज्ञा पालन का प्रतीक है।

क्षत्रियों का विनाश
श्रीमद्भागवत, रामायण इत्यादि पुराणों के अनुसार परशुराम ने 21 बार समस्त क्षत्रियों को समूल नष्ट किया था। परशुराम ने सहस्त्रार्जुन राजा और इसके पुत्र और पौत्रों का वध किया था और बाद लिए 21 बार समस्त क्षत्रियों का वध कर दिया। हैहयवंश में 5 पुत्रो के वंश को परशुराम ने अभयदान दिया जिससे वृष्णी वितिहोत्रा इत्यादि वंश चले वही बाकी क्षत्रियों का 21 बार अंत किया। जो बच्चे गर्भ में रह जाते थे वह भी नहीं बचते थे।